बुधवार, 8 जुलाई 2015

इंसान एक, लेकिन जन्म दो बार

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इंसान एक हैलेकिन उसका जन्म दो अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग वक्त में हुआ है। हमें पता है आप इसको जरूर गलत कहेंगे और आपका जवाब होगा- बिल्कुल नहीं! लेकिन यह सही है। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजित जोगी के विधायक बेटे अमित जोगी ने अपने बारे में खुद पेश किए गए दस्तावेजों में यही साबित करने की कोशिश की। एक में वे खुद को छत्तीसगढ़ में पैदा हुए बता रहे हैंजबकि दूसरे दस्तावेज़ में अमेरिका में पैदा हुए। दोनों ही दस्तावेज़ सँरकारी हैं। मरवाही विधानसभा क्षेत्र से विधायक अमित की ओर से दो अलग-अलग जगहों में पेश दस्तावेजों के मुताबिकउन्होंने एक बार अमेरिका में जन्म लिया और दूसरी बार छत्तीसगढ़ में। दस्तावेज यह भी बताते हैं कि अमेरिका में अमित जोगी का जन्म 1977 मेंजबकि छत्तीसगढ के मरवाही में उनका जन्म 1978 में हुआ। प्रदेश के सबसे चर्चित राजनीतिक परिवार में अमित के अलावा उनकी मां रेणु जोगी भी विधायक हैं। दरअसल अमित जोगी का जन्म अमेरिका के डेलॉस टैक्सॉस में हुआ था। वह पैदा होने के बाद से अमरीका के नागरिक रहे। 2001 में अमित ने भारत सरकार से यहां की नागरिकता मांगी। इसके लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय को साझा की गई जानकारी में उन्होंने अपना जन्म स्थान डेलॉस टैक्सॉस बताया और उसमें जन्मतिथि बताई 7 अगस्त 1977। इन्हीं जानकारियों के आधार पर अमित को भारतीय नागरिकता मिल भी गई। चुनाव लड़ने के समय 28 दिसंबर 2913 को अमित जोगी ने जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए खुद के दस्तखत के साथ पटवारी प्रतिवेदन जमा किया। पटवारी प्रतिवेदन में उन्होंने जन्मस्थान कॉलम में गौरेला ब्लॉक का सारबहरा गांव बता दिया। इसमें उन्होंने अपनी जन्मतिथि 7 अगस्त, 1978 बताई। इस मसले पर पार्टी के कोई भी नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं है। सभी यह कह कर बच रहे हैं कि वह उनका व्यक्तिगत मामला है। बात यहीं खत्म नहीं होती। जोगी परिवार की जाति को लेकर भी मुकदमा चल रहा है। उनसे यह लड़ाई बीजेपी के राज्यसभा सांसद नंद कुमार साय लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, "जोगी परिवार कुछ भी कर सकता है। यह अपने आप में चौंकाने वाला तथ्य है।" साय ने संबंधित विभाग से जांच कराए जाने की मांग की है।


क्या है नियम

पटवारी प्रतिवेदन शपथ-पत्र की शक्ल में तहसीलदार या एसडीएम के कार्यालय में जाता है। इस मामले में अदालत को गलत जानकारी देना धोखाधड़ी माना जाता है। एडवोकेट हितेन्द्र तिवारी का कहना है कि सक्षम न्यायालय को गलत जानकारी देना धारा 420 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।