बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

जागरूकता का हिस्सा बनना है तो पुरस्कार वापस लौटाओ

मोदी जी भी सोच रहे होंगे कभी साहित्यकार तो कभी कलाकार पुरस्कार वापस कर अपना विरोध जता रहे हैं। सामान्य लोग तो धरना देकर अपनी बात जिम्मेदारों तक पहुंचा लेते हैं। लेकिन साहित्यकार न तो अपनी कलम रोक सकता है और न ही कलाकार अपने हुनर को। ऐसे में उनके पास कोई रास्ता नहीं है। इसलिए साहित्यकार और कलाकार पुरस्कार वापस कर अपना विरोध जता रहे हैं।

पिछले पंद्रह दिनों से साहित्यकार द्वारा पुरस्कार वापस करने का सिलसिला जारी था। लेकिन अब फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के तीन प्रतिष्ठित छात्रों ने अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है। उन्होंने यह निर्णय पिछले कुछ महीनों से देश में व्याप्त उस माहौल के विरोध में लिया है, जिसे उन्होंने असहिष्णुता कहा है। महाराष्ट्र के विक्रांत पवार, उत्तर प्रदेश के राकेश शुक्ला और गोवा के प्रतीक वत्स वे तीन भूतपूर्व छात्र हैं जो अपने पुरस्कार लौटाएंगे। अनंत पटवर्धन ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम लोग ये समझ रहे हैं कि हमारे अवॉर्ड वापस करने से सरकार अचानक से बदल जाएगी। हम यहां बैठकर सरकार से अपील नहीं कर रहे हैं। हम जनता से अपील कर रहे हैं। इस समय देश में जागने का समय चल रहा है। साहित्यकारों ने अवॉर्ड वापस लौटाए। कल वैज्ञानिकों ने अपने पुरस्कार वापस किए और हम भी इस जागरूकता का हिस्सा बनना चाहते हैं। 

बुधवार, 8 जुलाई 2015

इंसान एक, लेकिन जन्म दो बार

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इंसान एक हैलेकिन उसका जन्म दो अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग वक्त में हुआ है। हमें पता है आप इसको जरूर गलत कहेंगे और आपका जवाब होगा- बिल्कुल नहीं! लेकिन यह सही है। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजित जोगी के विधायक बेटे अमित जोगी ने अपने बारे में खुद पेश किए गए दस्तावेजों में यही साबित करने की कोशिश की। एक में वे खुद को छत्तीसगढ़ में पैदा हुए बता रहे हैंजबकि दूसरे दस्तावेज़ में अमेरिका में पैदा हुए। दोनों ही दस्तावेज़ सँरकारी हैं। मरवाही विधानसभा क्षेत्र से विधायक अमित की ओर से दो अलग-अलग जगहों में पेश दस्तावेजों के मुताबिकउन्होंने एक बार अमेरिका में जन्म लिया और दूसरी बार छत्तीसगढ़ में। दस्तावेज यह भी बताते हैं कि अमेरिका में अमित जोगी का जन्म 1977 मेंजबकि छत्तीसगढ के मरवाही में उनका जन्म 1978 में हुआ। प्रदेश के सबसे चर्चित राजनीतिक परिवार में अमित के अलावा उनकी मां रेणु जोगी भी विधायक हैं। दरअसल अमित जोगी का जन्म अमेरिका के डेलॉस टैक्सॉस में हुआ था। वह पैदा होने के बाद से अमरीका के नागरिक रहे। 2001 में अमित ने भारत सरकार से यहां की नागरिकता मांगी। इसके लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय को साझा की गई जानकारी में उन्होंने अपना जन्म स्थान डेलॉस टैक्सॉस बताया और उसमें जन्मतिथि बताई 7 अगस्त 1977। इन्हीं जानकारियों के आधार पर अमित को भारतीय नागरिकता मिल भी गई। चुनाव लड़ने के समय 28 दिसंबर 2913 को अमित जोगी ने जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए खुद के दस्तखत के साथ पटवारी प्रतिवेदन जमा किया। पटवारी प्रतिवेदन में उन्होंने जन्मस्थान कॉलम में गौरेला ब्लॉक का सारबहरा गांव बता दिया। इसमें उन्होंने अपनी जन्मतिथि 7 अगस्त, 1978 बताई। इस मसले पर पार्टी के कोई भी नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं है। सभी यह कह कर बच रहे हैं कि वह उनका व्यक्तिगत मामला है। बात यहीं खत्म नहीं होती। जोगी परिवार की जाति को लेकर भी मुकदमा चल रहा है। उनसे यह लड़ाई बीजेपी के राज्यसभा सांसद नंद कुमार साय लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, "जोगी परिवार कुछ भी कर सकता है। यह अपने आप में चौंकाने वाला तथ्य है।" साय ने संबंधित विभाग से जांच कराए जाने की मांग की है।


क्या है नियम

पटवारी प्रतिवेदन शपथ-पत्र की शक्ल में तहसीलदार या एसडीएम के कार्यालय में जाता है। इस मामले में अदालत को गलत जानकारी देना धोखाधड़ी माना जाता है। एडवोकेट हितेन्द्र तिवारी का कहना है कि सक्षम न्यायालय को गलत जानकारी देना धारा 420 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।




रविवार, 10 मई 2015

मेरीकॉम ने इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ प्रेरणादायक मां बनी

मेरीकॉम ने इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ा, बनीं सबसे प्रेरणादायक मांभारतीय ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज एम. सी. मेरी कॉम ने दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ते हुए देश की सर्वाधिक प्रेरणादायक मां का खिताब हासिल किया है। मदर्स डे के मौके पर जारी एक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है।
ऑनलाइन मैचमेकिंग मंच 'शादी डॉट कॉम' की ओर से भारत और ब्रिटेन में सर्वाधिक प्रेरणादायक मां की तलाश के लिए ऑनलाइन सर्वेक्षण कराया गया, जिसमें करीब 9,700 भारतीय महिलाओं ने अपनी राय जाहिर की। दुनिया के लिए प्रेरणा बनने वाली भारतीय महिलाओं के बारे में राय पूछे जाने पर 39.1 फीसदी ने मेरी कॉम का नाम लिया, जबकि 32.4 फीसदी ने अभिनेत्री ऐश्वर्य राय का और 28.5 फीसदी ने इंदिरा गांधी का नाम लिया।

ब्रिटेन में इसी सवाल के जवाब में 40.2 फीसदी ने प्रिंसेज ऑफ वेल्स डायना का नाम लिया, 33.1 फीसदी ने 'हैरी पॉटर' उपन्यास की लेखिका जे. के. रॉलिंग का और 26.7 फीसदी ने अभिनेत्री ऑड्रे हेपबर्न का नाम लिया। 'शादी डॉट कॉम' के सीओओ गौरव रक्षित ने सर्वेक्षण के परिणाम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सर्वेक्षण में सर्वाधिक सफल महिलाओं के नाम सामने आए, जिन्होंने बड़े काम किए और दुनिया को प्रेरणा दी।

प्रधानमंत्री का दंतेवाड़ा दौरा, गांव के लोगों को नहीं पता कौन आ रहा है

पीएम का दंतेवाड़ा दौरा, गांव के लोगों को नहीं पता कौन आ रहा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दंतेवाड़ा दौरे को लेकर पूरे देश में चर्चा है, लेकिन प्रधानमंत्री दंतेवाड़ा के जिस गांव में बने एजुकेशन सिटी सेंटर में पहुंच रहे हैं, उसी गांव के लोगों को पता नहीं कि उनके क्षेत्र में कौन आ रहे हैं और क्यों आ रहे हैं।
हद तो यह हो गई कि जिसके पंचायत में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम है, वहीं के सरपंच और एजुकेशन सिटी के लिए जमीन दान देने वाले को बुलावा तक नहीं है। यह गांव कोई आम गांव नहीं, बल्कि इसकी चर्चा प्रदेश और देश में एजुकेशन सिटी को लेकर पहले से ही है। और अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आ रहे हैं, लिहाजा अब इस गांव को कौन नहीं जानेगा। गांव को तो सब जान जाएंगे, लेकिन गांव वाले यह नहीं जानते कि उनके क्षेत्र में कौन आ रहा है, गांव में प्रधानमंत्री के आने को लेकर कोई शोर-शराबा तक नहीं है।
गांव वाले देश के प्रधानमंत्री कौन है यह भी नहीं जानते हैं. वर्तमान सरपंच और पूर्व सरपंच बोमड़ा कवासी का कहना है कि उन्हें मीडिया से प्रधानमंत्री के आने की जानकारी हुई है, उन्हें किसी तरह का कोई बुलावा नहीं मिला है. इसका उन्हें बेहद अफसोस है क्योंकि उनके पंचायत में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम हो रहा है।AdTech Ad
बोमड़ा कवासी ने दुख के साथ कहा कि जावंगा में विकास सिर्फ एजुकेशन सिटी के रूप में ही दिखता है. जबकि गांव के भीतर अभी भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है. गांव में बिजली है, लेकिन अक्सर बंद रहती है, गांव के कई मोहल्लों में सड़क और पुल की कमी है, ऐसे कई और समस्याएं गांव में है जो कि दूर ही नहीं हो रही हैं।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी गांव में बने एजुकेशन सिटी सेंटर का अवलोकन करने और उनके छात्रों से मन की बात करने आ रहे हैं. उम्मीद है कि गांव वालों की मन की बात भी प्रधानमंत्री तक पहुंच जाए।
(सौजन्य : - वैभव शिव पांडे )

बुधवार, 15 अप्रैल 2015

क्रिकेट की दुनिया से बाहर चले रहे वीरू का बल्ला चल पड़ा

क्रिकेट की दुनिया से बाहर चल रहे वीरू का बल्ला आईपीएल सीज़न 8 के 10वें मैच में जम कर चला। किंग्स इलेवन पंजाब के तूफानी ओपनर विरेंद्र सहवाग ने बेहतरीन बल्लेबाज़ी करते हुए दिल्ली के सामने 166 रनों का लक्ष्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सहवाग ने बुधवार को 47 रनों की पारी खेल कर गेल का पछाड़ दिया। उन्होनें टी-20 क्रिकेट में अपने 4000 रन पूरे कर लिया। टी-20 क्रिकेट में भारत की तरफ से ये कारनामा करने वाले सहवाग 7वें बल्लेबाज़ बनें। जबकि वर्ल्ड क्रिकेट में 4000 के मार्क तक पहुंचने वाले वो 25वें बल्लेबाज़ बन गए हैं। इतना ही नहीं इसके अलावा भी सहवाग ने आज एक रिकॉर्ड अपने नाम किया। सहवाग ने आज 4 चौके लगाने के साथ ही आईपीएल के इतिहास में सहवाग सबसे ज्यादा चौके लगाने वाले बल्लेबाज़ बन गए हैं।सहवाग के नाम आईपीएल में अब 432 चौके दर्ज हो गए हैं। इस मामले में उनसे आगे अब कोई भी बल्लेबाज़ नहीं है।

शनिवार, 7 मार्च 2015

हृदय रोग पीड़ित बच्चों का होगा फ्री में इलाज

हृदय रोग से ग्रसित बच्चों के परिजनों को राहत मिल सकती है। अब उनके बच्चों को न केवल सुविधाओं के साथ इलाज होगा, बल्कि इलाज में आने वाले खर्च के लिए एक पैसा नहीं देना पड़ेगा। यह सुविधा देश की राजधानी दिल्ली में नहीं, बल्कि नक्सलवाद से प्रभावित प्रदेश छत्तीसगढ़ में शुरू हुई है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने नया रायपुर में श्री सत्य सांई संजीवनी अस्पताल का उद्घाटन किया। इस अस्पताल में हृदय रोग बच्चों का नि:शुल्क इलाज किया जाएगा। अस्पताल के पहले दिन चार दर्जन से अधिक बच्चों का इलाज के लिए दाखिला किया गया। इस अस्पताल में चाइल्ड हार्ट सर्जरी सेंटर के साथ दो आपरेशन थियेटर की सुविधा उपलब्ध रहेगी। इससे पहले भी 2008 में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना की शुरुआत कर चुके हैं। योजना के तहत चार हजार से अधिक बच्चों का इलाज किया जा चुका है।
6 पाकिस्तान बच्चों का हो रहा इलाज
सत्य सांई संजीवनी हास्पिटल में वर्तमान में 48 बच्चे दाखिल हैं, इनमें छह बच्चे पाकिस्तान से आए हैं। इनके साथ छत्तीसगढ़, ओडिसा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के बच्चे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के इस पहल से लोगों की समस्याएं दूर हो जाएगी । सभी बच्चों का इलाज मुफ्त में होने से एक प्रकार का रहहत भी मिलेगी

गुरुवार, 5 मार्च 2015

खुदा महफ़ूज़ रखे एहफ़ाज़ को हर बला से!

एहफ़ाज़ रशीद,पत्रकारिता के क्षेत्र में हमेशा संघर्ष के लिये जाना-पहचाना नाम।एकदम बिंदास और कल को हमेशा ठेंगे पे रखने वाला एहफ़ाज़ आज भी आने वाले से बेखौफ़,जबकी उसे हार्ट-अटैक के कारण एस्कार्टस अस्पताल मे भर्ती कराया गया है।उसके सुर में रत्ती भर भी फ़र्क़ नही आया है,अभी भी उसका अपने रोज़ के दोस्तो से यही कहना है कि कुछ नही होने वाला मुझे,बस ठीक हुआ और फ़िर देखना।खुदा करे उसे कुछ भी ना हो और खुदा उसे महफ़ूज़ रखे हर बला से।वैसे तो मुझे भगवान से भी यही मांग करना चाहिये और मैं करूगा भी,क्योंकि एहफ़ाज़ ने कभी भगवान और खुदा मे फ़र्क़ ही नही किया था।होली के त्योहार पर सबसे ज्यादा रंग खेलने वाले कुछ लोगों मे उसका भी नाम शुमार था।न केवल होली बल्कि सारे त्योहार वो उसी खुशी और उमंग से मनाता था जैसे ईद्।पता नही उसे किसकी बुरी नज़र लग गई कि उसे खेलने-कूदने की उम्र मे ही दिल का रोग लग गया।वैसे भी उसने दिमाग से ज्यादा दिल का ही इस्तेमाल किया था आजतक़।हर महत्वपूर्ण फ़ैसला वो दिल से किया करता था और शायद नौकरी छोड़ने-पकड़ने में वो मुझे भी टक्कर देता था।25 साल से ज्यादा पत्रकारिता के बाद भी उसका कोई पक्का ठौर-ठीकाना नही था।जब तक़ दिल लगा काम किया और जब मन नही माना निकल लिये नई नौकरी की तलाश में।इस मामले में कई बार मुझे लगता है कि उसका रिकार्ड मुझ्से भी खराब था।                                                                                                                                                 उम्र में वो मुझसे एकाध साल छोटा ही था मगर नौकरी यानी पत्रकारिता में मुझसे पहले आ गया था और शायद तीन साल सीनियर था।उससे पहली मुलाक़ात भी बहुत मज़ेदार थी।हम लोग एमएससी पास करके उन दिनो राजनीति में हाथ आज़मा रहे थे।एक मित्र संजय वर्मा के बड़े भाई दिलीप वर्मा के विवाह समारोह मे सब शामिल थे।एहफ़ाज़ संजय के छोटे भाई अनुपम उर्फ़ अंजू वर्मा के दोस्त था और बारात मे वो भी खूब नाच रहा था।हमारा बहुत बड़ा ग्रूप था और सभी नाचने में मस्त थे।अचानक़ पैरों मे घूंघरू बांध कर एक नौजवान बारात मे घुसा और नाचने लगा।इससे पहले कि हम लोग उसे कुछ कहते अनुपम सारा माज़रा समझ कर बीच में आया और खने लगा भैया ये पत्रकार है।हम लोग तब तक़ छुट्टे सांद ही थे।उससे जैसे ही हम लोगों ने कहा अबे भगा पत्रकार-फ़त्रकार…तो उसने बीच में ही बात काट कर कहा कि वो मेरा दोस्त है।इस पर सबका उससे परिचय हुआ।वो पहला परिचय था जो आज तक़ चला आ रहा है।कई बार उसने मेरा जमकर विरोध किया और मैंने कभी उसकी बात का बुरा नही माना और स्वभाव के अनुसार कुछ दिनो बाद वो खुद ही आकर मिलता और उससे रिश्ता कायम ही रहा।                                                                                                                           उससे पहली मुलाक़ात के कुछ साल बाद मैं भी इसी लाईन मे आ गया और फ़िर समबन्ध गहरे होते चले गये।नौकरी छोड़ना और पकड़ना शायद तब तक़ उसके लिये खेल बन गया था।दरअसल उसे समझौता पसंद नही था   और लड़ना उसे हर किसी से पसंद से था,खासकर बड़े लोगों से।इसी आदत के कारण घूमते-फ़िरते वो भास्कर भी आया और इत्तेफ़ाक़ से मेरी ही डेस्क पर काम किया।खबरे जैसे उड़ कर आती थी उसके पास।जखीरा रहता था उसके पास्।एक दिन उसने मुझसे कहा कि मुझे एक बहुत बड़ी खबर हाथ लगी है इसे छपना है।खबर सुनकर मैने उससे कहा कि ये खबर तो संपादक ही क्लियर करेगा बाबू।उसने कहा कि ये छापना ज़रूरी है बहुत से लोगोम को  मिली है मगर किसी ने छपने की हिम्मत नही की है।खबर शहर के बहुत बड़े औद्योगिक घराने के खिलाफ़ थी।वो ज़िद पर था कि इसे आज ही छपना चाहिये।मैने उससे कहा कि फ़िर रूक जा रात को सब के जाने के बाद सिटी एडिशन में लगा दूंगा।खबर तो छपी,हगामा भी हुआ और मुझे जमकर डांट भी पड़ी लेकिन वाह रे एहफ़ाज़ उसे कोई फ़र्क़ नही पड़ा।मैने कहा नौकरी जा सकती थी तो उसका जवाब था रोटी तो नही छीन सकता ना कोई ,नौकरी जाने से क्या फ़र्क़ पड़ता है?                                                                                       किस्से तो एक से एक हैं उसके।एक रात मैं हमेशा की तरह ड्यूटी पर मस्त सोया हुआ था।अचानक़ ये कंही से आ टपकां।उसने आते ही पूछा अनिल भैया कंहा है।फ़िर वो ढूंढते हुये मेरे पास पंहुचा और ऊठाने लगा।मैं गहरी नींद में था।बार-बार हिलाने_डुलाने पर मेरी नींद टूटी और आधी नींद मे ही मैंने उससे बात की।उसने मुझे बताया कि मज़दूर नेता शंकर गुहा नियोगी का ह्त्यारा अस्पताल से फ़रार हो गया है।मैं अच्छी खासी नींद में था मैने उससे कहा बना दे छोटी-मोटी खबर और फ़िर सो गया तब तक़ उसका दिमाग खराब होम गया था,उसने चार लाईन मे उस खबर को निपटा दिया और चला गया बाद में मुहे स्टाफ़ ने उठाया और बताया कि बहुत बड़ी घटना हो गई है।जब मैने उनसे पूछा कि खबर किसने बनाई है तो एहफ़ाज़ का नाम बताया गया।मेरे हाथ के तोते-कौये सब ऊड़ गये।मैने उसे लाख ढूंढा तब तक़ एहफ़ाज़ रफ़ूचक्कर हो चुका था।उसे पता था कि मैं रात को सोता हूं और वो खबर छूटी तो नौकरी खतरे में पड़ सकती थी बस इसिलिये चला आया था मुझे खबर बताने।     ऐसे एक नही कई किस्से हैं।होली तो जैसे उसके बिना हो ही नही सकती।टाइटल देने से लेकर लोगों के नाम रखने में उसका कोई सानी नही था। हमेशा हंसी-मज़ाक,बात-बात पे खी-खी उसके अलावा कोई काम नही।ऐसा लगता था कि हंसना-हंसना ही उसका मक़सद है।मगर आज वो खुद तो हंस रहा है मगर ना तो उसके दोस्त हंस पा रहे हैं और नाही मैं हंस पा रहा हूं।उसके रिश्तेदार,यार दोस्त,चाहने वाले सभी दुआ कर रहे हैं कि वो फ़िर सेहंसता बोलता अस्पताल स बाहर आये।और वो है कि उसे कुछ भी फ़र्क़ नही पड़ा उसका हंसना ज़ारी है।उसका बाय-पास होना है।ईश्वर करे वो इस इम्तेहान में भी पास हो जाये। आमीन्।
सौजन्य - अनिल पुष्दकर
http://anilpusadkar.blogspot.in/2011/07/blog-post_05.html

रविवार, 1 फ़रवरी 2015

जनता दरबार... ये बिहार के मुख्यमंत्री वाला जनता दरबार नहीं है। यह जनता दरबार शेखर झा का है। मुख्यमंत्री जी के दरबार में पीड़ितों की समस्याओं का हल किया जाता है, लेकिन  दरबार के माध्यम से जनता की समस्याओं को रखेंगे। अभी बस इतना ही आगे तो आपसे मुलाकात होते रहेगी। आपका इस जनतार दरबार में दिल से स्वागत हैं।