मोदी जी भी सोच रहे होंगे कभी
साहित्यकार तो कभी कलाकार पुरस्कार वापस कर अपना विरोध जता रहे हैं। सामान्य लोग तो धरना
देकर अपनी बात जिम्मेदारों तक पहुंचा लेते हैं। लेकिन साहित्यकार न तो अपनी कलम
रोक सकता है और न ही कलाकार अपने हुनर को। ऐसे में उनके पास कोई रास्ता नहीं है।
इसलिए साहित्यकार और कलाकार पुरस्कार वापस कर अपना विरोध जता रहे हैं।
पिछले पंद्रह दिनों से साहित्यकार
द्वारा पुरस्कार वापस करने का सिलसिला जारी था। लेकिन अब फिल्म
एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के तीन प्रतिष्ठित छात्रों ने अपने
राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है। उन्होंने यह निर्णय पिछले
कुछ महीनों से देश में व्याप्त उस माहौल के विरोध में लिया है, जिसे उन्होंने असहिष्णुता कहा है। महाराष्ट्र के विक्रांत
पवार, उत्तर प्रदेश के राकेश शुक्ला और गोवा के प्रतीक
वत्स वे तीन भूतपूर्व छात्र हैं जो अपने पुरस्कार लौटाएंगे। अनंत पटवर्धन ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम लोग ये समझ रहे हैं कि हमारे
अवॉर्ड वापस करने से सरकार अचानक से बदल जाएगी। हम
यहां बैठकर सरकार से अपील नहीं कर रहे हैं। हम जनता से अपील कर रहे
हैं। इस समय देश में जागने का समय चल रहा है। साहित्यकारों
ने अवॉर्ड वापस लौटाए। कल वैज्ञानिकों ने अपने
पुरस्कार वापस किए और हम भी इस जागरूकता का हिस्सा बनना चाहते हैं।
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