वासनिक छत्तीसगढ़ मराठी साहित्य परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष हैं। शहर में उन्होंने किराए का मकान लेकर लाइब्रेरी खोली है। यहां भी पैसे नहीं लिए जाते। फिलहाल यहां मराठी साहित्य की किताबें हैं। जल्द ही हिंदी किताबें भी रखी जाएंगी। उनकी पहल से ही भिलाई व कोरबा में भी लाइब्रेरी खुली। वहां भी वासनिक ही किताबें भेजते हैं।
वासनिक अच्छे कवि भी हैं। मराठी में उनके दो काव्य संग्रह हैं। उनकी कविताएं मुंबई, औरंगाबाद, नागपुर यूनिवर्सिटी की अंग्रेजी व मराठी के कोर्स में शामिल हैं।
सीपीएम के सचिव नंद कश्यप का कहना है कि वासनिक उन्हें चाही गई हर किताब दिला देते हैं। उनका रुझान किताबें पढऩे की ओर बढ़ा है। इसी तरह इंजीनियर संजय शर्मा का मानना है कि वासनिक चलती-फिरती लाइब्रेरी हैं।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र में कैशियर के पद पर रहते हुए उन्होंने किताबों को अपना दोस्त बनाए रखा। वे आज भी बच्चों को किताबों से कहानी-किस्से सुनाते हैं। युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं को किताबें उपलब्ध कराते हैं। साहित्य से जुड़े लोगों को जब कोई किताब नहीं मिलती तो वे वासनिक के पास आते हैं।