शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

दुनिया के कोने-कोने से किताबें खोजकर देना है शौक

हर आम और खास में किताबें पढऩे का शौक पैदा करना कपूर वासनिक को दिली सुकून देता है। यही वजह है कि उन्होंने लोगों को दुर्लभ और नई-पुरानी किताबें उपलब्ध करवाने का बीड़ा उठा रखा है। विश्व के किसी भी विषय, राइटर या एडिशन की किताबें वे हर हाल में लाकर देते हैं। फिर चाहे इसके लिए उन्हें देश-दुनिया में कहीं भी बात क्यों न करनी पड़े। पढऩे का रुझान कम होने को लेकर उनका कहना है कि दरअसल माता-पिता बच्चों को किताबें ही लाकर नहीं देते। अज्ञेय नगर में रहने वाले कवि कपूर वासनिक को चलती-फिलती लाइब्रेरी कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। चाहने वाले उन्हें इसी नाम से जानते हैं। इस दौर जब लोगों का रुझान किताओं की ओर लगातार घट रहा है, इनकी जगह इंटरनेट ने ले ली है। ऐसे में वासनिक लोगों को किताबों के संसार में ले जा रहे हैं। अपने इस शौक के पीछे वे पैसे को अहमियत नहीं देते। मांग आई तो वासनिक किताबें अपनी जेब से खरीदकर देते हैं। पैसे वापस नहीं मांगते। कोई दे भी तो रेट वही, जिस पर कंपनी ने उन्हें दी हो। इस फेर में अब तक लाखों रुपए यूं ही खर्च हो चुके, लेकिन सुकून सिर्फ एक कि लोग पढऩे तो लगे हैं।

कई जगहों पर शुरू कराई नि:शुल्क लाइब्रेरी  
वासनिक छत्तीसगढ़ मराठी साहित्य परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष हैं। शहर में उन्होंने किराए का मकान लेकर लाइब्रेरी खोली है। यहां भी पैसे नहीं लिए जाते। फिलहाल यहां मराठी साहित्य की किताबें हैं। जल्द ही हिंदी किताबें भी रखी जाएंगी। उनकी पहल से ही भिलाई व कोरबा में भी लाइब्रेरी खुली। वहां भी वासनिक ही किताबें भेजते हैं।

यूनिवर्सिटी में पढ़ी जाती हैं इनकी कविताएं 
वासनिक अच्छे कवि भी हैं। मराठी में उनके दो काव्य संग्रह हैं। उनकी कविताएं मुंबई, औरंगाबाद, नागपुर यूनिवर्सिटी की अंग्रेजी व मराठी के कोर्स में शामिल हैं।

पहले किताब छूते न थे, अब मांगते हैं 
सीपीएम के सचिव नंद कश्यप का कहना है कि वासनिक उन्हें चाही गई हर किताब दिला देते हैं। उनका रुझान किताबें पढऩे की ओर बढ़ा है। इसी तरह इंजीनियर संजय शर्मा का मानना है कि वासनिक चलती-फिरती लाइब्रेरी हैं।

जॉब में थे तो किताबें ही मित्र रहीं 
बैंक ऑफ महाराष्ट्र में कैशियर के पद पर रहते हुए उन्होंने किताबों को अपना दोस्त बनाए रखा। वे आज भी बच्चों को किताबों से कहानी-किस्से सुनाते हैं। युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं को किताबें उपलब्ध कराते हैं। साहित्य से जुड़े लोगों को जब कोई किताब नहीं मिलती तो वे वासनिक के पास आते हैं।

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