सोमवार, 2 अक्तूबर 2017

न बोलने की आजादी और न ही लिखने की

पत्रकारों को बोलने की आजादी नहीं है... सच लिखना तो जुर्म माना जाता है... ऐसे में बताओ भला न कुछ बोल सकते हैं और न ही लिख सकते हैं... यह कैसी आजादी है... सोमवार को पत्रकारों ने रायपुर प्रेस क्लब से राजभवन तक शांति मार्च निकाल आवाज बुलंद की...  शांति मार्च में प्रदेश भर के पत्रकार साथी सम्मिलित हुए। देश भर में पत्रकारों के ऊपर लगातार हमले हो रहे हैं। हाल ही में बीजापुर से एक वायरलेस सन्देश लीक हुआ है। जिसमें रिपोर्टिंग के लिए गए पत्रकारों को मरवा देने के निर्देश दिये जा रहे हैं। इस वायरलेस सन्देश के सामने आने के बाद पूरी पत्रकार बिरादरी चिंतित हो उठी है। पत्रकार एकजुटता का संदेश दिया गया। शांति मार्च में 300 से अधिक पत्रकार अपनी इसी चिंता और अपने साथियों की सुरक्षा की मांग को शांति मार्च निकाला गया और शामिल हुए।


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