भले
शेयर बाजार गोते लगाए, बाजार चरमरा कर गिरनेवाला हो, दिवाली में लक्ष्मी-गणेश की पूजा करीब-करीब हरेक हिंदूवादी परिवार, प्रतिष्ठान में जोर-शोर से होता है। गणेश चतुर्थी में तो पूरा महाराष्ट्र
ही गणेश के रंग में रंग जाता है। पर इन दिनों बिहार के मिथिलांचल के शान कहे जाने
वाला मिथिला यूनिवर्सिटी जो हुआ है उससे सभी सन्न हैं। लोगों को समझ में नहीं आ
रहा है गणेश भक्ति का प्रभाव है या बीजेपी-नितिश
सरकार का गठबंधन का भगवान के ओर कुछ ज्यादा ही झुकाव या फिर परीक्षा व्यवस्था की
क्वालिटी जांच करने का अनोखा तरीका -- यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तो गणेश भगवान को ही
परीक्षा में बिठाने की ठान ली है। हाल ही में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने परीक्षा के लिए जो एडमिट कार्ड जारी
किया वहां पर अभ्यर्थि के जगह पर भगवान गणेश का सजीव फोटो लगा दिया और उनके
हस्ताक्षर भी गणेश के नाम से करवा लिए। जिन विधार्थि के नाम से एडमिट कार्ड निकला
है वे भाई परेशान होकर मारे फिर रहे हैं कि बिना बताए यूनिवर्सिटि ने उनका भगवान
गणेश के साथ गठबंधन तो करवा दिया लेकिन परीक्षा में अब जाएगा कौन? कहां से लाए गणेश भगवान को? हम सभी मिथिला
यूनिवर्सिटी पूर्व छात्र जो त्रिवर्षीय बीए की डिग्री को चार साल में लेकर निकले, मिथिला यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस कारगुजारी को लेकर काफी हलाकान एवं
परेशान हैं और अपनी सारी संवेदनाएं इस छात्र को समर्पित करते हैं। क्योंकि हमारा
तो यूनिवर्सिटी ने सिर्फ एक साल जाया किया लेकिन पता नहीं इस छात्र के कितना समय
चला जाएगा। कई लोग तो कहते हैं कि भगवान को पाने में कई युग लग जाते हैं। पता नहीं
क्या होगा इस भाई का? “ वैसे भी हमसे जो पहले लोग-बाग
लालू डिग्री में यूनिवर्सिटी में परीक्षा दिए थे, वो तो
घरे ले जाकर कॉपी लिखे पर पता नहीं हमारे समय का हुआ, ससुरा
सीएम आर्टस में सेंटर था एको गो विधार्थि को चिटे नहीं ले जाने देता था”। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस पर अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा की चूंकि एडमिट
कार्य आउट सोर्स किया गया था इसलिए ऐसा हो गया। हम इस मामले को दिखवाते हैं। हम
आपकी बात से सहमत हैं- “आउट सोर्सिंग न बहुते बेकार चिज
हैं उधर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप परेशान हैं, छत्तीसगढ़
में रमन सिंह और ई यूनिवर्सिटी में बेचारा ई परिक्षार्थि”। “प्रशासन-सुशासन बाबु पर सोचिए बेचारे इस भाई का क्या हुआ होगा”। क्या यूनिवर्सिटी प्रशासन को इन्हें मुआवजा नहीं देना चाहिए? पर मिलेगा नहीं। ये तो बिहार हैं आप तो जानते हीं शिक्षा व्यवस्था के साथ
सबसे खतरनाक एक्सपेरिमेंट यहीं होता है। शायद इसलिए यहां कभी गौतम बुद्ध को ज्ञान
मिल जाता था तो कभी घर में ही कापी ले जाकर परीक्षा देने का चलन था। भाई अब इस
राज्य में मामला एक कदम और आगे निकल गया अब गणेश जी को आकर परीक्षा देना पड़ रहा
है। उनको मजबूरी में साईन भी करना पड़ा है....ये प्रभु यहां को तो भगवान ही मालिक.....जय
गणपती बप्पा मोरया
सौजन्य – Avdhesh Mallick
नोट – इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक
के निजी विचार हैं। इस लेखक में दी गई
किसी भी सूचना की ‘जनता दरबार’ उत्तरदायी नहीं है.
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